SHANTI विधेयक 2025: भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा में नया अध्याय
भारत सरकार ने हाल ही में SHANTI विधेयक — यानी Sustainable Harnessing of Advancement of Nuclear Technology for India — को मंजूरी दे दी है। इसे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। यह नया कानून सिर्फ एक तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भारत का आत्मविश्वास भरा कदम है।
क्या है SHANTI विधेयक?
इस विधेयक का मकसद भारत के परमाणु क्षेत्र के लिए एक ऐसा कानूनी और नीतिगत ढांचा तैयार करना है जो आधुनिक समय की जरूरतों के अनुरूप हो। यानी, जहाँ सुरक्षा और नियंत्रण सरकार के हाथ में बने रहें, वहीं निजी निवेश और तकनीक को भी आगे बढ़ने का मौका मिले।
अब तक देश के परमाणु संयंत्रों का संचालन मुख्य रूप से सरकारी कंपनियाँ — जैसे NPCIL और BHAVINI — करती रही हैं। SHANTI विधेयक इन व्यवस्थाओं में धीरे-धीरे बदलाव लाने और कुछ क्षेत्रों में निजी भागीदारी को अनुमति देने की पहल करता है।
न्यूक्लियर वैल्यू चेन में नया अवसर
इस कानून के तहत अब निजी कंपनियाँ परमाणु क्षेत्र की कुछ गतिविधियों में भाग ले सकती हैं:
- परमाणु खनिजों की खोज और उत्पादन
- न्यूक्लियर फ्यूल प्रोसेसिंग
- परमाणु उपकरणों का निर्माण
हालाँकि, हथियारों या रिएक्टर संचालन जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर सरकार का नियंत्रण पहले की तरह बना रहेगा।
दायित्व प्रणाली में सुधार
- ऑपरेटर, सप्लायर और सरकार की भूमिकाएँ स्पष्ट
- बीमा आधारित वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था
- सरकार की अतिरिक्त सहायता का प्रावधान
भारत का 100 GW लक्ष्य
वर्ष 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता — ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा का मिशन।
SHANTI विधेयक से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल (FAQs)
🔹 SHANTI विधेयक 2025 क्या है?
जवाब: SHANTI विधेयक भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के लिए नया कानूनी ढांचा है जो निजी निवेश, सुरक्षा मानक और दायित्व व्यवस्था में सुधार लाता है।
🔹 कौन सी गतिविधियाँ निजी क्षेत्र के लिए खुलेंगी?
जवाब: परमाणु खनिज खोज, फ्यूल फैब्रिकेशन और उपकरण निर्माण। रिएक्टर संचालन सरकार के नियंत्रण में रहेगा।
🔹 न्यूक्लियर सेफ्टी अथॉरिटी का क्या काम है?
जवाब: स्वतंत्र सुरक्षा मानक निर्धारण, निगरानी और प्रमोशनल-रेगुलेटरी भूमिकाओं का स्पष्ट विभाजन।
🔹 दायित्व व्यवस्था में क्या बदलाव?
जवाब: बीमा आधारित सीमा, स्पष्ट जिम्मेदारियाँ और सरकारी सहायता — निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए।
🔹 भारत का परमाणु ऊर्जा लक्ष्य क्या है?
जवाब: 2047 तक 100 GW क्षमता — ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों के लिए।
🔹 Atomic Energy Act 1962 और SHANTI में अंतर?
जवाब: पुराना कानून सरकारी नियंत्रण पर केंद्रित था, SHANTI निजी भागीदारी और आधुनिक नियमन लाता है।
🔹 PPP मॉडल का क्या मतलब?
जवाब: सरकार सुरक्षा रखेगी, निजी क्षेत्र निवेश-तकनीक देगा — संतुलित विकास के लिए।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- पूर्ण नाम: Sustainable Harnessing of Advancement of Nuclear Technology for India
- मुख्य कंपनियाँ: NPCIL, BHAVINI
- नए संस्थान: Nuclear Safety Authority, Dedicated Nuclear Tribunal
- लक्ष्य: 100 GW by 2047
📚 नोट: यह लेख CBSE परीक्षा तैयारी और शैक्षणिक उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है। सार्वजनिक जानकारी पर आधारित मूल व्याख्या।