1
If you are facing any issue, then join our Telegram group or channel and let us know.Join Channel Join Group!
Posts

SHANTI विधेयक 2025: भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा में नया अध्याय

VIGYAN
Please wait 0 seconds...
Scroll Down and click on Go to Link for destination
Congrats! Link is Generated
SHANTI विधेयक 2025: भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा में नया अध्याय

SHANTI विधेयक 2025: भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा में नया अध्याय

भारत सरकार ने हाल ही में SHANTI विधेयक — यानी Sustainable Harnessing of Advancement of Nuclear Technology for India — को मंजूरी दे दी है। इसे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। इस नया कानून सिर्फ एक तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भारत का आत्मविश्वास भरा कदम है।

मुख्य सोच: सुरक्षित, टिकाऊ और आधुनिक परमाणु प्रौद्योगिकी के जरिये भारत की ऊर्जा जरूरतों को भविष्य के अनुरूप बनाना।

क्या है SHANTI विधेयक?

इस विधेयक का मकसद भारत के परमाणु क्षेत्र के लिए एक ऐसा कानूनी और नीतिगत ढांचा तैयार करना है जो आधुनिक समय की जरूरतों के अनुरूप हो। यानी, जहाँ सुरक्षा और नियंत्रण सरकार के हाथ में बने रहें, वहीं निजी निवेश और तकनीक को भी आगे बढ़ने का मौका मिले।

अब तक देश के परमाणु संयंत्रों का संचालन मुख्य रूप से सरकारी कंपनियाँ — जैसे NPCIL और BHAVINI — करती रही हैं। SHANTI विधेयक इन व्यवस्थाओं में धीरे-धीरे बदलाव लाने और कुछ क्षेत्रों में निजी भागीदारी को अनुमति देने की पहल करता है।

पुराना ढांचा और बदलाव की जरूरत

भारत का परमाणु क्षेत्र अब तक Atomic Energy Act, 1962 और Civil Liability for Nuclear Damage Act, 2010 पर आधारित रहा है। समय के साथ तकनीक बदली, ऊर्जा की मांग बढ़ी और वैश्विक साझेदारियाँ जटिल होती गईं। इसी बदलते दौर में स्पष्ट नियम, निवेश सुरक्षा और जवाबदेही की नई जरूरत महसूस हुई — और यही SHANTI विधेयक का मूल कारण है।

न्यूक्लियर वैल्यू चेन में नया अवसर

इस कानून के तहत अब निजी कंपनियाँ परमाणु क्षेत्र की कुछ गतिविधियों में भाग ले सकती हैं, जैसे:

  • परमाणु खनिजों की खोज और उत्पादन,
  • न्यूक्लियर फ्यूल प्रोसेसिंग,
  • और परमाणु उपकरणों का निर्माण।

हालाँकि, हथियारों या रिएक्टर संचालन जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर सरकार का नियंत्रण पहले की तरह बना रहेगा। इससे संतुलन बना रहेगा — सुरक्षा भी और नवाचार भी।

दायित्व (Liability) प्रणाली में सुधार

निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता परमाणु दुर्घटनाओं की स्थिति में जिम्मेदारी तय करने को लेकर रही है। SHANTI विधेयक इस समस्या का समाधान करता है। अब:

  • ऑपरेटर, सप्लायर और सरकार की भूमिकाएँ स्पष्ट होंगी,
  • बीमा आधारित वित्तीय सुरक्षा (insurance-backed system) लागू होगी,
  • और सरकार अतिरिक्त सहायता का प्रावधान रखेगी।

इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आसान होगा।

स्वतंत्र न्यूक्लियर सेफ्टी अथॉरिटी

सुरक्षा परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की रीढ़ है। विधेयक एक स्वतंत्र न्यूक्लियर सेफ्टी अथॉरिटी की स्थापना करेगा, जो पूरी तरह पेशेवर और पारदर्शी तरीके से सुरक्षा मानकों की निगरानी करेगी। यह कदम भारत की सुरक्षा व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाता है।

समर्पित न्यूक्लियर ट्रिब्यूनल

न्याय प्रणाली को तेज़ और विशेषज्ञ बनाने के लिए एक Dedicated Nuclear Tribunal भी गठित किया जाएगा। यह ट्रिब्यूनल विशेष तकनीकी और कानूनी मामलों को विशेषज्ञ दृष्टि से देखेगा, जिससे समय पर न्याय मिल सकेगा और अदालतों का बोझ कम होगा।

भारत का दीर्घकालिक लक्ष्य

भारत ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावॉट (100 GW) परमाणु ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। यह सिर्फ बिजली उत्पादन का लक्ष्य नहीं, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बड़ा मिशन है।

ऊर्जा संक्रमण और जलवायु प्रतिबद्धता

परमाणु ऊर्जा वह पुल है जो फॉसिल फ्यूल से स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर भारत को जोड़ता है। यह सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जाओं के साथ मिलकर एक स्थिर, भरोसेमंद बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती है। इससे भारत की कार्बन उत्सर्जन में कटौती की प्रतिबद्धता को भी मजबूती मिलती है।

ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में कदम

तेल और गैस आयात पर निर्भरता ने भारत को वर्षों तक वैश्विक बाज़ार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित किया है। परमाणु ऊर्जा के जरिये देश अब अपनी ऊर्जा सुरक्षा को अधिक स्थिर और आत्मनिर्भर दिशा में मोड़ सकता है।

PPP मॉडल से सहयोग की नई शुरुआत

SHANTI विधेयक के बाद परमाणु क्षेत्र में Public-Private Partnership (PPP) का रास्ता खुलता है। इसमें सरकार सुरक्षा और रणनीतिक नियंत्रण अपने पास रखेगी, जबकि निजी क्षेत्र पूंजी और तकनीक के ज़रिये विकास को गति देगा। यह साझेदारी का नया युग भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदल सकता है।

अगले कदम — नीति से क्रियान्वयन तक

कानून बनना शुरुआत है, असली चुनौती उसका प्रभावी क्रियान्वयन है। पारदर्शी नियम, मजबूत निगरानी और चरणबद्ध निजी भागीदारी के जरिये ही SHANTI अपने उद्देश्य को पूरा कर पाएगा। अगर यह सफल हुआ, तो भारत अगले दो दशकों में दुनिया के प्रमुख परमाणु ऊर्जा उत्पादक देशों में शामिल हो सकता है।


नोट: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित शैक्षणिक व्याख्या है, जिसका उद्देश्य केवल ज्ञानवर्धक और परीक्षा तैयारी के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करना है।

Post a Comment

Cookie Consent
NextPrayas serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.
Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...