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राज्य सरकार की नवीनतम नीतियाँ 2024

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राज्य सरकार की नवीनतम नीतियाँ

रिन्यूएबल एनर्जी की नई नीति 2023

प्रदेश में सौर पवन ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य  सरकार ने 6 अक्टूबर, 2023 को बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने रिन्यूएबल एनर्जी की नई नीति जारी कर दी है। अगले छह साल में रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य 30 हजार मेगावाट से बढ़ाकर 90 हजार मेगावाट कर दिया है।

सोलर पार्क लगाने वाली बड़ी कंपनियों-निवेशकों के लिए राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फंड व प्रोजेक्ट सिक्योरिटी राशि 5 लाख रु. से घटाकर 1 लाख रु. प्रति मेगावाट कर दी गई है।

इसके अलावा अब आमजन अपनी खाली छत पर भी सोलर प्लांट लगा सकेंगे और यह बिजली डिस्कॉम को ग्रिड में भेजकर पैसा ले सकेंगे।

प्रदेश में सौर व विंड एनर्जी तो बन रही है, लेकिन अब भी स्टोरेज करने की व्यवस्था नहीं है। अब पम्प स्टोरेज व स्टैण्ड अलॉन पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति आसानी से मिल सकेगी।

इसके अलावा बांध, झील, तालाब में फ्लोटिंग सोलर लगाने के लिए भी नीति में प्रावधान कर दिया गया है। यानि, सस्ती बिजली उत्पादन के कई तरह के मैकेनिज्म डवलग किए गए हैं।

राजस्थान में अभी तक 23,000 मेगावाट के प्रोजेक्ट लगे हैं।

2025 तक राजस्थान में 37,500 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट का लक्ष्य है।

2029 तक राजस्थान में 90,000 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट लगाने का टारगेट है।

राजस्थान ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023

20 सितम्बर, 2023 को मंत्रिमण्डल द्वारा मंजूरी दी गई।

विभाग- ऊर्जा विभाग

राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना- 2022 (RIPS-2022) के तहत छूट प्रदान की जायेगी।

उद्देश्य-सौर, पवन ऊर्जा से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए नीति लाभान्वित इकाईयाँ- पेट्रोलियम, स्टील प्लांट, रिफाइनरी, सीमेंट, परिवहन, विमानन क्षेत्र।

हाइड्रोजन के लिए दूसरे राज्य व देश से आयात की निर्भरता समाप्त होगी।

यह है ग्रीन हाइड्रोजन

ग्रीन हाइड्रोजन पुनर्नवीनीकरण/अक्षय ऊर्जा का नवीन उदीयमान क्षेत्र है। इसमें अक्षय ऊर्जा के उपयोग से जल को इलेक्ट्रोलिसिस कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। इसलिए इसे ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।

केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2022 और मिशन जारी किया जा चुका है। इसमें वर्ष 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

प्रमुख प्रावधान

प्रसारण तंत्र पर स्थापित होने वाले 500 केटीपीए अक्षय ऊर्जा प्लांट को 10 वर्ष तक प्रसारण एवं वितरण शुल्क में 50 प्रतिशत छूट।

थर्ड पार्टी से अक्षय ऊर्जा खरीदने पर अतिरिक्त एवं क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज में 10 वर्ष तक छूट

परिशोधित या खारे पानी से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए भूमि आवंटन में प्राथमिकता एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए 30 प्रतिशत (अधिकतम 5 करोड़ रु.) सब्सिडी मिलेगी।

कैप्टिव पावर प्लांट की क्षमता एवं उत्पादित बिजली की बैंकिंग पर प्रतिबंध नहीं होगा।

विद्युत संयंत्रों के लिए व्हीलिंग एवं ट्रांसमिशन शुल्क की 100 प्रतिशत भरपाई होगी।

बिजली संयंत्रों के लिए बैंकिंग शुल्क भी 7 से 10 वर्ष तक माफ किया जाएगा।

थ्रस्ट सेक्टर में शामिल- ग्रीन हाईड्रोजन सेक्टर को राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना के तहत थ्रस्ट सेक्टर में शामिल किया जाएगा। मैन्युफैक्चरिंग स्टैण्ड पैकेज के लाभ भी देंगे।

 

नई जलवायु परिवर्तन नीति- 2023

5 जून, 2023 को जारी

20% जमीन को हरित करने, पौधरोपण 80 हजार हैक्टेयर, पंचायत स्तर पर 5 करोड़ पौधे, बायो गैस इस्तेमाल, वेस्ट ट्रीटमेंट करने का लक्ष्य निर्धारित।

राजस्थान बेघर उत्थान एवं पुनर्वास नीति 2022

मंत्रिमण्डल बैठक में 'राजस्थान बेघर उत्थान एवं पुनर्वास नीति- 2022' का अनुमोदन किया गया। नीति के अंतर्गत 50 वर्ग फीट प्रति व्यक्ति की न्यूनतम जगह के साथ छत उपलब्ध कराने, महिलाओं, मानसिक रूप से विक्षिप्तों और बीमारों जैसे विशेष श्रेणी के लोगों की अनुचित निजता एवं सुरक्षा उपलब्ध करवाए जाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।

 

रिन्यूअल एनर्जी नवीनतम नीति 2023

6 अक्टूबर, 2023 को जारी। अगले 6 वर्ष में एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य 90 हजार मैगावाट करने का लक्ष्य

सोलर पम्प निवेश कंपनी की सिक्योरिटी राशि 5 से हटाकर 1 लाख रु. प्रति मैगावाट

नई स्टार्ट अप नीति 2022

13 नवम्बर, 2022 को लॉन्च।

इस नीति से प्रदेश में स्टार्टअप को प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा निवेश क्षेत्र में विस्तार होगा।

इससे पूर्व वर्ष 2015 में स्टार्ट अप पॉलिसी घोषित की गई थी।

*नई पॉलिसी में स्कूली विद्यार्थियों, ग्रामीण स्टार्ट अप एवं संस्थानिक इन्क्यूबेशन सेंटर्स पर जोर दिया गया है।

राजस्थान इलेक्ट्रिक वाहन नीति

राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए राजस्थान इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी प्रदान की।

यह नीति राज्य में 1 सितम्बर, 2022 से लागू की गई। यह नीति 5 वर्ष की अवधि के लिए लागू की गई।

प्रावधान

पॉलिसी के अनुसार पहली 500 इलेक्ट्रिक बसों पर एक से पाँच लाख रुपए तक का अनुदान विभाग देगा। वहीं, पहली 200 बसों को रेट्रोफिटमेंट उपकरण की कीमत का 15 प्रतिशत या 2.5 लाख रु. तक का अनुदान दिया जाएगा। इतना ही नहीं, निजी इलेक्ट्रिक वाहनों को भी सरकार अनुदान देगी। इसके अलावा एसजीएसटी का सौ फीसदी पुनर्भुगतान किया जाएगा।

राज्य सीएनजी [ कम्प्रैस्ड नेचुरल गैस ] नीति

राजस्थान परिवहन विभाग ने ग्रीन फ्यूल को बढ़ावा देने वाली सीएनजी [कम्प्रैस्ड नेचुरल गैस] नीति का ड्राफ्ट जून, 2022 में जारी किया है।

नीति में यह प्रावधान

सीएनजी पर वैट 14.5% से घटाकर 5% किया जाएगा।

दस साल पुराने डीजल कमर्शियल व पैसेंजर वाहनों में सीएनजी किट लगवाने पर पांच साल का अतिरिक्त एक्सटेंशन दिया जाएगा।

जो वाहन सीएनजी में कन्वर्ट होते हैं, उन्हें पुनः पंजीयन में 100 प्रतिशत सब्सिडी जाएगी।

नीति लागू होने के छह माह के भीतर जेसीटीएसएल और अन्य सिटी बस कंपनियों को बसों के सीएनजी कन्वर्जन का प्लान तैयार करना होगा।

राजस्थान फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति 2022

इस नीति के तहत प्रदेश को फिल्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जायेगा। राज्य में फिल्म निर्माण की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जायेगा।

राजस्थानी भाषा में भी फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता, अवॉर्ड और नकद पुरस्कार के प्रावधान प्रस्तावित किये गये है।

देशी-विदेशी फिल्म निर्माताओं को राजस्थान में शूटिंग करने पर वित्तीय परिलाभ एवं अनुदान दिया जाना भी प्रस्तावित किया गया है।

22 जुलाई, 2022 को नीति को लॉन्च किया गया है।

एम-सेण्ड (मैन्यूफैक्चर्ड सैंड)

आमजन को खनिज बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प उपलब्ध कराना है।

25 जनवरी, 2021 को एम-सेण्ड नीति 2020 का लोकार्पण किया गया। एम-सेण्ड की इस अनुमोदित नीति के तहत 'एम-सेण्ड' इकाई को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा तथा उसे रिप्स- 2019 (निवेश प्रोत्साहन योजना) के तहत परिलाभ देय होंगे।

निर्माण कार्यों में प्रयुक्त की जाने वाली खनिज बजरी की मात्रा का न्यूनतम 25% एम-सेण्ड का उपयोग अनिवार्य होगा, जिसे उपलब्धता के आधार पर बढ़ाया जा सकेगा। प्रदेश में पहले चरण में ही 200 एम-सेण्ड उद्योग लगेंगे।

राजस्थान राज्य महिला नीति 2021

11 अप्रैल, 2021 को कस्तूरबा जयंती पर राज्य महिला नीति 2021 जारी की गई। राज्य की प्रथम महिला नीति वर्ष 2000 में लागू की गई थी।

राज्य महिला नीति 2021 के कुछ प्रमुख बिन्दु

महिला नीति एवं बालिका नीति को एकीकृत किया गया है। महिलाओं से संबंधित विभिन्न नवीन अधिनियमों और विविध प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भी समन्वित कार्ययोजना बनाने पर बल दिया गया है।

राज्य महिला नीति 2021 के उद्देश्य

महिलाओं और बालिकाओं की स्वायत्तता, गरिमा और मानव अधिकारों को सुनिश्चित करना।

महिलाओं और बालिकाओं की स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा को बढ़ावा देना।

राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सामाजिक सुरक्षा अवसर एवं सुविधाओं तक उनकी पहुँच बनाना।

राजस्थान MSME नीति 2022

17 सितम्बर 2022 को MSME दिवस के अवसर पर उद्योग विभाग राजस्थान सरकार ने इस योजना को लागू किया है।

राजस्थान में छोटे उद्यमियों और ग्रामीण तथा शहरी इलाकों हथ-करघा कामगारों और बुनकरों आदि को आर्थिक प्रोत्साहन के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) नीतियाँ जारी की गई। प्रदेश की पहली हस्तशिल्प नीति में राज्य के हस्तशिल्पियों एवं बुनकारों के उत्थान पर फोकस किया गया है।

क्लस्टर्स/क्राफ्ट विलेज में आधारभूत सुविधाओं का विकास होगा।

इससे राज्य की परम्परागत शिल्प कलाओं के विकास के साथ- साथ रोजगार के विपुल अवसर सृजित होंगे।

राज्य की विलुप्त होती परम्परागत हस्तकलाओं को पुनर्जीवित करना संभव होगा।

राजस्थान एमएसएमई नीति-2022 में खास ....

· राजस्थान के लिए एमएसएमई सेक्टर आर्थिक रूप से अत्यधिक जीवन्त और गतिशील क्षेत्र है। इससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगिकरण में गति मिलती है। इसलिए राज्य सरकार ने नई 'राजस्थान एमएसएमई नीति- 2022' जारी की है।

इस नीति में 18,000 करोड़ रुपये के संचयी निवेश और 1 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार का लक्ष्य रखा गया है।

राजस्थान में 20,000 नई MSME इकाईयाँ स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।

कुल 9,000 एमएसएमई उद्यमों को सुविधा दी जाएगी।

नीति का उद्देश्य राज्य सकल घरेलू उत्पाद के योगदान को बढ़ाने के लिए बेहतर माहौल तैयार करना है।

राज्य की प्रथम हस्तशिल्प नीति 2021

राज्य की पहली हस्तशिल्प नीति को 17 सितम्बर, 2022 को जारी किया गया। इसके हस्तशिल्पियों के लिए 3 लाख रु. तक का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने का प्रावधान जोड़ा गया है।

हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन देने और हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह प्रारूप तैयार किया गया है। राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास किये जाएंगें।

हस्तशिल्प नीति का उद्देश्य हस्तशिल्पियों के उत्थान के बेहतर मार्केट की व्यवस्था करना, प्रदेश की हस्तकलाओं को पुनर्जिवित करना, राज्य के उत्पादों के निर्यात योग्य बनाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है।

राजस्थान हस्तशिल्प सप्ताह-राज्य के हस्तशिल्प उत्पादों के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रतिवर्ष दिसम्बर में हस्तशिल्प सप्ताह का आयोजन किया जाएगा।

पुरस्कार एवं सम्मान- हस्तशिल्प से जुड़े युवाओं, महिलाओं, निर्यात क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले हस्तशिल्पियों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा।

हस्तशिल्प स्मृति चिन्ह- सरकारी कार्यक्रमों, पुरस्कारों एवं सम्मान समारोह में हस्तशिल्प से जुड़े उत्पाद दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी।

छात्रवृति की व्यवस्था- हस्तशिल्प नीति के प्रारुप में राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्राप्त दस्तकारों एवं बुनकरों के बच्चों को मान्यता प्राप्त हस्तशिल्प एवं हथकरघा संस्थान से हस्तशिल्प एवं टैक्सटाइल विषयों में डिग्री या डिप्लोमा करने पर छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

प्रारूप में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में शिल्पकारों के अंश का भुगतान राज्य की ओर से किये जाने का प्रावधान है।

हैण्डीक्राफ्ट निदेशालय की स्थापना की जायेगी।

हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों को ई-पोर्टल से जोड़ा जायेगा।

राजस्थान सिलिकोसिस नीति 2019

राज्य में सिलिकोसिस पीड़ित एवं उनके परिवारजनों की सहायता एवं पुनर्वास के लिए 3 अक्टूबर, 2019 को राजस्थान सिलिकोसिस नीति, 2019 लागू की गई।

सिलिकोसिस पीड़ित व्यक्ति व परिवार को दी जाने वाली सहायता।

पीड़ित व्यक्ति को पुनर्वास के लिए राशि 3 लाख रुपये की सहायता।

पीड़ित की मृत्यु होने पर उत्तराधिकारी को राशि 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता।

मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन की पात्रता के अनुरूप पेंशन

पीड़ित की मृत्यु पर पत्नी को विधवा पेंशन व पालनहार योजना का लाभ

मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के लिए 10,000 रुपये तक की सहायता।

परिवार के सदस्यों को विशेष योग्यजनों के लिए संचालित आस्था योजना (बीपीएल के समान लाभ) के अंतर्गत लाभ।

राजस्थान औद्योगिक विकास नीति- 2019

लागू- 1 जुलाई, 2019

राजस्थान औद्योगिक विकास नीति, 2019 के अन्तर्गत निम्न उद्देश्य के साथ विशेष प्रावधान किये गये है-

अनुकूल औद्योगिक आधारभूत संरचना- भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लचीला बनाना, निजी भूमि-रीको द्वारा निवेश तथा रीको की भूमि-निजी निवेश मॉडल पर पीपीपी मोड पर औद्योगिक पार्कों का विकास, प्लग एण्ड प्ले सुविधाओं एवं बहुमंजिला कारखानों को बढ़ावा देना, औद्योगिक क्षेत्रों में आवश्यकता अनुसार सामाजिक बुनियादी ढाँचे का विकास करना, पिछड़े क्षेत्र में उद्योग स्थापना हेतु रियायती दर पर बंजर भूमि का आवंटन, पेट्रो केमिकल उद्योग के लिए तेल रिफाईनरी के पास औद्योगिक टाऊनशिप विकसित करना, बिजली दरों को परिवर्तनशील बनाना एवं व्हीलिंग चार्जेज कम करना।

प्रतियोगात्मक राजकोषीय प्रोत्साहन- मैन्युफेक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्र के उद्यम हेतु प्रोत्साहन पैकेज, थ्रस्ट सेक्टर एवं पिछड़े व अति पिछड़े क्षेत्रों के उद्योगों को अतिरिक्त प्रोत्साहन, एंकर इकाइयों को आकर्षक प्रोत्साहन, एमएसएमई को पूँजी निवेश, प्रौद्योगिकी अधिग्रहण/उन्नयन, क्रेडिट गारंटी, गुणवत्ता प्रमाणन, रिसर्च एण्ड डवलपमेंट आदि के लिए सहायता, अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला उद्यमियों, कुटीर उद्योगों, फुटकर व्यापारियों एवं स्वयं सहायता समूह के उद्यमियों को वित्तीय सहायता के लिए विशेष योजना का प्रावधान।

कुशल मानव संसाधन- उद्योगों को कौशल विकास संस्थान की स्थापना हेतु प्रोत्साहित करना तथा लॉजिस्टिक्स, ईएसडीएम तथा ऑटोमोबाइल (इलेक्ट्रिक वाहन खण्ड) आदि उभरते क्षेत्रों के लिए नये कौशल विकास कार्यक्रम पर बल।

संतुलित क्षेत्रीय औद्योगिक विकास का बढ़ावा- जिला स्तरीय औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण तैयार करना, बड़े उद्योगों के साथ एमएसएमई की आपूर्ति श्रृंखला लिंकेज को प्रोत्साहित करना, जिला स्तर पर व्यावसायिक सुविधा केन्द्र की स्थापना का प्रावधान।

उद्यमशीलता एवं नवाचार- नवाचार एवं प्रभारी ईको सिस्टम को बढ़ावा देने हेतु नई स्टार्ट-अप नीति का निर्माण, प्रमुख शहरों के निकट स्टार्ट अप क्षेत्र विकसित कराना, राज्य के बाहर से स्टार्टअप को राज्य में स्थापित एवं विकसित करने के लिए सुविधायुक्त ढाँचे का निर्माण करना, सभी क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु वार्षिक नवाचार पुरस्कार का प्रावधान।

पर्यावरण संरक्षण एवं सतत् औद्योगिक विकास- औद्योगिक अपशिष्ट के पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करना, औद्योगिक पार्को के लिए प्रभावी कचरा प्रबंधन, ग्रीन बिल्डिंग एवं इको फ्रेंडली उद्योगों को सहायता, आवश्यक सहायता के साथ वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहन।

उद्योगों का तकनीकी उन्नयन- अनुसंधान एवं विकास केन्द्रों, परीक्षण और प्रमाणीकरण प्रयोगशालाओं के लिए सहायता का प्रावधान।

उद्योग 4.0- प्रौद्योगिक अधिग्रहण, कौशल विकास, रिसर्च एण्ड डवलपमेंट को प्रोत्साहन के माध्यम से उद्योग 4.0 के नये युग में उभार।

नियमों और निरीक्षणों को युक्तिसंगत बनाना।

ईओडीबी और उद्योग समर्थक दृष्टिकोण को अपनाना।

थ्रस्ट सेक्टर्स का विकास करना- राज्य के आर्थिक विकास  के मुख्य क्षेत्र-कपड़ा एवं परिधान, फूड प्रोसेसिंग, ईएसडीएम, ऑटो और ऑटो कम्पोनेंट, लेदर व फुटवियर, खान एवं खनिज, जैम्स व ज्वैलरी एवं सेवा क्षेत्र पर विशेष बल।

 

राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019

क्रियान्वयन :- RREC (Rajasthan Renewable Energy Corporation) द्वारा।

लागू :- 18 दिसम्बर 2019 से

इस नीति के तहत 2024-25 तक 30000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

विवरण क्षमता

यूटिलिटी/ग्रिड सोलर पार्क  24000 MW

* Distributed Generation 4000 MW

* Solar Rooftop 1000 MW

* Solar Pumps 1000 MW

प्रावधान-

सौर ऊर्जा उपकरण निर्माताओं को स्टाम्प शुल्क में 100% की छूट, 50% रियायती रेट पर जमीन आवंटन, 10 वर्ष तक विद्युत शुल्क में छूट, GST में 90% तक अनुदान।

प्रसारण एवं वितरण शुल्क में 7 वर्ष तक 50% की छूट।

इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग स्टेशन को प्रसारण एवं वितरण शुल्क में 10 वर्ष तक 100% की छूट।

स्टोरेज के साथ अक्षय ऊर्जा संयंत्रों को प्रसारण एवं वितरण शुल्क में 7 वर्ष तक 75% की छूट।

निजी कृषि भूमि का उपयोग करने पर बिना शुल्क के भू-रूपांतरण किया जा सकेगा।

उद्देश्य

सौर ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में निवेशकों के अनुकूल वातावरण तैयार करना।

राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना।

·सोलर पार्कों का विकास।

नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पारेषण एवं वितरण नेटवर्क को मजबूत करना।

हितधारक संचालित निति के साथ राज्य में सौर ऊर्जा क्षेत्र का विकास करना।

ऑफ़-ग्रिड सोलर एप्लीकेशन जैसे-सोलर वाटर पंप, होम लाइटिंग सिस्टम, वॉटर हीटर को बढ़ावा देना।

सौर ऊर्जा उपकरण और भंडारण प्रणालियों के विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा देना।

नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों (EV) के चार्जिंग स्टेशनो को बढ़ावा देना।

 

राजस्थान पर्यटन नीति 2020

राजस्थान पर्यटन नीति 2020 को 9 सितम्बर, 2020 को लागू किया गया है। 20 वर्ष बाद लागू हुई नई पर्यटन नीति में गाँवों से लेकर शहरों तक पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के प्रावधान किए गए हैं।

नीति में ग्रामीण व पंचायत क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए स्व प्रमाणन को प्रोत्साहित किया जाएगा।

महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों की पहचान की जाएगी और इन्हें विशेष पर्यटन जोन घोषित किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित गेस्ट हाउस, होम स्टे, पहले से संचालित होटलों का नियमन, मान्यता, नियमन और पंजीकरण के लिए योजनाएँ शुरू होंगी।

वैवाहिक, धार्मिक, साहसिक पर्यटन के साथ ही जनजातीय, सांस्कृतिक और व्यंजन पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।

राजस्थान पर्यटन विभाग की स्थापना 1956 में की गई। 1989 में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया। राजस्थान पर्यटन का स्लोगन है- 'पधारो म्हारे देस' 'राजस्थान लगे अपना सा ... ' नया स्लोगन जो फिल्म प्रमोशन को बढ़ावा देगा।

प्रथम पर्यटन नीति वर्ष 2001 में बनीं।

इकोट्यूरिज्म पॉलिसी बनाने वाला राजस्थान देश का पहला और एकमात्र राज्य है।

राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य की ईको-टूरिज्म पॉलिसी जुलाई, 2021 में लागू की गई।

उद्देश्य :- प्राकृतिक क्षेत्रों के संरक्षण और पर्यटन के आकर्षित करने के बाद आर्थिक लाभ उत्पन्न करना है।

स्थान ग्रामीण पर्यटन योजना 2022

राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना 5 दिसम्बर, 2022 को लागू की गई हैं।

पर्यटन के उभरते बाजारों और ट्रेंड को रेखांकित करने के लिए इंटरनेशनल ब्रांडिंग की जाएगी।

क्षेत्र सर्किट आधारित पर्यटन मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।

पर्यटन क्षेत्रों के अनुभव व ज्ञान को साझा करने के लिए प्रमुख विदेशी पर्यटन बोर्डों के साथ एमओयू किए जाएंगे।

घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई मार्केटिंग पॉलिसी बनेगी। सुरक्षा एवं सूचना एप से पर्यटक सहायता बल को मजबूत किया जाएगा।

राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना 2022 से गाँवों में पर्यटन के नए द्वार खुलेंगे।

ग्रामीण गेस्ट हाउस, कृषि पर्यटन इकाई, कैपिंग साइट, कैरावेन पार्क आदि की स्थापना से रोजगार सृजित होगा।

स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट होगी।

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