राजस्थान के प्रसिद्ध नगर और स्थल: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का परिचय
राजस्थान, जिसे "राजाओं की भूमि" कहा जाता है, अपने शानदार इतिहास, अद्भुत किलों, और जीवंत संस्कृति के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। आइए, इस गौरवशाली राज्य के कुछ प्रमुख नगरों और स्थलों की यात्रा करें।
अजमेर: राजस्थान का हृदय 💖
चौहान शासक अजयराज ने 1113 ईस्वी में अजमेर/अजयमेरू की स्थापना की थी 1 नवंबर, 1956 को यह राजस्थान का 26वाँ जिला बना था इसे राजस्थान का हृदय, भारत का मक्का, राजस्थान का नाका, और राजपूताने की कुंजी कहा जाता है
- पुष्कर झील: इसे हिन्दुओं का पाँचवाँ तीर्थ, तीर्थराज, तीर्थों का मामा, और कोंकण तीर्थ कहा जाता है[यह राजस्थान की सबसे प्राचीन और पवित्र प्राकृतिक (क्रेटर/काल्डेरा) झील है, जिसमें 52 घाट हैं यहीं विश्व प्रसिद्ध ब्रह्माजी के मंदिर का निर्माण गोकुल चन्द्र पारीक ने करवाया था।
- अढ़ाई दिन का झोंपड़ा: यह हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य कला का उदाहरण है। इसका निर्माण चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ द्वारा 1153 ईस्वी में संस्कृत पाठशाला के लिए करवाया गया था, जिसे बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मस्जिद में बदल दिया।
- आनासागर झील: इसका निर्माण अर्णोराज चौहान ने करवाया था इसके किनारे सम्राट जहाँगीर ने दौलत बाग (वर्तमान में सुभाष उद्यान) बनवाया था, जबकि शाहजहाँ ने संगमरमर का पाँच बारहदरियों का निर्माण करवाया।
- तारागढ़ (गढ़बीठली): इसे लार्ड विलियम बैंटिंग ने राजस्थान का जिब्राल्टर कहा था (1832 में)।
अलवर: राजस्थान का सिंहद्वार 🦁
आमेर के शासक कोकिल देव के कुंवर अलधराज ने 1049 ईस्वी में अलपुर नाम से इसकी स्थापना की थी बाद में, 25 नवंबर, 1775 ईस्वी में कच्छवाहा की नरूका खाप के माचेड़ी के राव प्रतापसिंह ने इसे अलवर राज्य की राजधानी घोषित किया।
- मत्स्य संघ: राजस्थान के एकीकरण के समय 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली को मिलाकर मत्स्य संघ बनाया गया था।
- मूसी महारानी की छतरी: यह 80 खम्भों की छतरी कहलाती है। इसका निर्माण महाराजा विनयसिंह ने बख्तावर सिंह की पासवान मूसी महारानी की स्मृति में करवाया था।
- सिलीसेढ़ झील: इसे राजस्थान का नंदनकानन भी कहा जाता है।
- पांडुपोल: यहाँ हनुमान जी की शयन मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है।
- नीमराणा: यहाँ राज्य का तीसरा निर्यात संवर्द्वन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है।
बांसवाड़ा: सौ द्वीपों का शहर 🏝️
बाँसवाड़ा की नींव उदयसिंह के पुत्र महारावल जगमाल सिंह ने डाली थी।
- मानगढ़ धाम: यह राजस्थान का जलियाँवाला बाग के नाम से प्रसिद्ध है 17 नवंबर, 1913 को यहाँ गोविंद गुरु के नेतृत्व में हुई सभा पर अंग्रेजों की गोलीबारी में 1500 आदिवासी मारे गए थे।
- माही बजाज सागर बांध: यह राजस्थान का सबसे लंबा बांध है।
- छप्पन का मैदान: बाँसवाड़ा व प्रतापगढ़ के मध्य स्थित छप्पन गाँवों का समूह छप्पन का मैदान कहलाता है।
बूंदी: छोटी काशी और बावड़ियों का शहर ⛲
बूंदी को छोटी काशी तथा बावड़ियों का शहर कहा जाता है। इसकी स्थापना 1241 में देवीसिंह हाडा के द्वारा की गई थी।
- तारागढ़ दुर्ग: इसका निर्माण 1354 ईस्वी में बरसिंह ने करवाया था। रुडयार्ड किपलिंग ने इस दुर्ग के बारे में कहा था कि "इस दुर्ग का निर्माण भूत-प्रेतों ने करवाया था"।
- रामगढ़ विषधारी अभयारण्य: इसे हाल ही में राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। इसे बाघों का जच्चा घर कहा जाता है।
- रानी जी की बावड़ी: 1699 ईस्वी में नाथावत जी द्वारा निर्मित यह बावड़ी राजस्थान की सबसे लंबी बावड़ियों में से एक है।
चित्तौड़गढ़: राजस्थान का गौरव 🏰
चित्तौड़गढ़ को राजस्थान का गौरव कहा जाता है। यह दुर्ग गम्भीरी व बेड़च नदियों के संगम पर मेसा के पठार पर स्थित है, जिसे दुर्गों का सिरमौर भी कहते हैं।
- विजय स्तम्भ: मेवाड़ के शासक राणा कुंभा ने इसकी आधारशिला 1440 ईस्वी में रखी और यह 1448 ईस्वी में पूर्ण हुआ। इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष और विष्णु ध्वज भी कहा जाता है।
- भैंसरोडगढ़ किला: इस दुर्ग को राजस्थान का वेल्लोर कहा जाता है। यह चंबल व ब्राह्मणी नदियों के संगम पर स्थित है।
- रावतभाटा: यह राजस्थान की अणुनगरी के रूप में प्रसिद्ध है।
जयपुर: गुलाबी नगरी और भारत का पेरिस 👑
जयपुर की स्थापना 18 नवंबर, 1727 को सवाई जयसिंह के द्वारा की गई थी। इसका वास्तुकार विधाधर भट्टाचार्य थे। इसे भारत का पेरिस, गुलाबी नगरी, और सी.वी. रमन ने आइलैण्ड ऑफ ग्लोरी कहा।
- हवामहल: इसका निर्माण 1799 में प्रतापसिंह ने करवाया था, जिसके वास्तुकार लालचंद थे। यह 5 मंजिला इमारत है।
- नाहरगढ़ किला: इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1734 ईस्वी में करवाया था। इसका प्रारंभिक नाम सुदर्शनगढ़ था। इसमें समरूप आकृति के नौ महल बने हुए हैं।
- जयगढ़: यहाँ एशिया की सबसे बड़ी तोप जयबाण स्थित है, जिसका निर्माण जयसिंह ने करवाया था।
- आमेर: यह कच्छवाह वंश की राजधानी थी। यहाँ शिलादेवी और जगत शिरोमणी का मंदिर है।
- जंतर-मंतर: सवाई जयसिंह द्वारा 1734 ईस्वी में निर्मित यह वेधशाला विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित है।
जोधपुर: सूर्यनगरी और ब्लू सिटी ☀️
जोधपुर की स्थापना 1459 ईस्वी में राव जोधा के द्वारा की गई थी। इसे सूर्यनगरी, ब्लू सिटी तथा मरूस्थल का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
- मेहरानगढ़ दुर्ग: चिड़ियाटूक पहाड़ी पर स्थित इस दुर्ग का निर्माण 1459 में राव जोधा ने करवाया था, जिसकी नींव करणी माता ने रखी थी।
- जसवन्तथड़ा: इसे राजस्थान का ताजमहल कहा जाता है। इसका निर्माण सरदार सिंह ने जसवंत सिंह द्वितीय की स्मृति में 1906 में करवाया था।
- खेजड़ली गांव: यहाँ विश्व में एकमात्र वृक्ष मेला भाद्रपद शुक्ला दशमी को आयोजित होता है। अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में यहाँ 363 स्त्री-पुरुषों ने वृक्षों को बचाने के लिए बलिदान दिया था।
उदयपुर: झीलों की नगरी 🏞️
झीलों की नगरी उदयपुर की स्थापना मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह ने 1559 में की थी। इसे राजस्थान का कश्मीर, सैलानियों का स्वर्ग, तथा फांउटेन व माउंटेन का शहर कहा जाता है।
- जयसमन्द झील: यह राजस्थान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। इसे ढेबर झील भी कहा जाता है।
- पिछोला झील: इसका निर्माण राणा लाखा के समय एक बंजारे ने करवाया था। इसके मध्य में जग मंदिर व जग निवास महल स्थित हैं।
- सहेलियों की बाड़ी: मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने फतेहसागर झील के किनारे इसका निर्माण करवाया था।
- चन्द्रमहल (सिटी पैलेस): पिछोला झील के किनारे स्थित इस महल को फर्ग्यूसन ने राजस्थान के विंडसर महल की संज्ञा दी है।
राजस्थान का हर नगर और स्थल अपनी कहानी कहता है, जो इस भूमि के शौर्य, आस्था और कला की अमूल्य धरोहर को दर्शाती है।