🎈 जीवन का सबक: खुशियाँ बाँटने से मिलती हैं
एक दिन एक टीचर ने अपनी क्लास के बच्चों को एक हॉल में इकट्ठा किया और सबको एक-एक गुब्बारा दिया। फिर टीचर ने कहा — “बच्चो, इस गुब्बारे पर अपना-अपना नाम लिखो।” जब सभी ने नाम लिख दिए, तो टीचर ने सारे गुब्बारे इकट्ठा किए और पूरे हॉल में फैला दिए।
इसके बाद टीचर ने कहा — “अब तुम्हारे पास 10 मिनट का समय है, और इस समय में तुम्हें अपना-अपना नाम लिखा हुआ गुब्बारा ढूंढना है।”
जैसे ही टाइम शुरू हुआ, सारे बच्चे इधर-उधर दौड़ने लगे। कोई गिरा, कोई टकराया — पूरे हॉल में अफरातफरी मच गई। दस मिनट बाद जब सीटी बजी, तो बहुत कम बच्चों के पास ही उनका खुद का गुब्बारा था। बाकी सब निराश होकर खड़े थे।
टीचर मुस्कुराई और बोली — “चलो, अब एक बार फिर से ये खेल खेलते हैं। लेकिन इस बार थोड़ा बदलाव करते हैं। जिसको जो गुब्बारा मिले, उस पर लिखा नाम पढ़ो और जिसका नाम है, उसे जाकर दे दो।”
इस बार जैसे ही टाइम शुरू हुआ, बच्चों ने खुशी-खुशी एक-दूसरे के नाम वाले गुब्बारे उन्हें देने शुरू कर दिए। सिर्फ 5 मिनट में ही हर बच्चे के हाथ में उसका अपना नाम लिखा गुब्बारा था।
💡 कहानी से सीख
जीवन में केवल अपनी इच्छाओं, सपनों और खुशियों के पीछे भागने से हम थक जाते हैं। लेकिन जब हम दूसरों की मदद करने लगते हैं, तो अनजाने में ही हमारी अपनी खुशी हमारे पास लौट आती है।
सच्ची खुशी वही है जो बाँटने से बढ़ती है।